सोमवार, 25 अगस्त 2025

साथी

अंधेरों के साथी जुगनू, 
दिन की रोशनी में, फीके पड़ जाते हैं।

पर कब यहां चमकते हैं भानु सदा,
लौट के आती है रोज ही ये निशा,

दिल के गीत फिर से गुनगुनाने की,
याद दिलाने टिमटिमाते दीवानों की।
~
मुसाफिर

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