Sr. No. #7
डॉक्टर सी० वी० रमन
क्यूँ इस आसमान का रंग हैं नीला?
ना बजे सितार, समझो तार है ढ़ीला।
क्या होगा, जब आवाज़ से प्रकाश टकराए?
हीरे के क्या गुण, इक हीरे ने ही थे बताए।
तमिलनाडु का सपूत था वो,
विज्ञान दिवस का दूत था वो।
रमन प्रभाव था उसे नाम दिया,
जिसको नोबेल था इनाम दिया।
जिसने ये सब, था दुनिया को बतलाया,
वो सी वी रमन, था भारत रतन कहलाया।
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अजय चहल 'मुसाफ़िर'
चेन्नई, 22.08.2019![]()  | 
| PC: https://en.wikipedia.org/wiki/C._V._Raman | 
 सौरमंडल के ग्रह
दोस्तों,
हमारे सौरमंडल में हैं आठ ग्रह,
आओ
सुनो उनकी कहानी, उन्हीं की जुबानी।
1.       Mercury:
हूँ मैं सबसे छोटा और सूरज के भी सबसे पास,
ना हवा है, ना ही पानी, बुध नाम है मेरा ख़ास।
हूँ मैं सबसे छोटा और सूरज के भी सबसे पास,
ना हवा है, ना ही पानी, बुध नाम है मेरा ख़ास।
2.       Venus:
एक अनोखी बात है मेरी, सूरज की करता मैं उलटी फेरी,
चाँद सा ही चमके है शुक्र, गर आसमान पे नज़र है तेरी।
एक अनोखी बात है मेरी, सूरज की करता मैं उलटी फेरी,
चाँद सा ही चमके है शुक्र, गर आसमान पे नज़र है तेरी।
3.       Earth:
इन्सान का है मुझपे डेरा, पर ख्याल नहीं है वो रखता मेरा,
तुम गर पृथ्वी नहीं बचाओगे, तो कैसे अच्छा जीवन पाओगे।
इन्सान का है मुझपे डेरा, पर ख्याल नहीं है वो रखता मेरा,
तुम गर पृथ्वी नहीं बचाओगे, तो कैसे अच्छा जीवन पाओगे।
4.       Mars:
लोहे का मैं बड़ा भंडार हूँ, इसीलिए है रंग लाल मेरा,
धरती ने तुझे पाला है, अब मैं भी करूँगा मंगल तेरा।
लोहे का मैं बड़ा भंडार हूँ, इसीलिए है रंग लाल मेरा,
धरती ने तुझे पाला है, अब मैं भी करूँगा मंगल तेरा।
5.       Jupiter:
हूँ सबसे बड़ा सौरमंडल में, पास मेरे अनेकों चाँद हैं रहते,
शिष्य वही हैं आगे बढ़ते, जो अपने गुरु की बात हैं सहते।
हूँ सबसे बड़ा सौरमंडल में, पास मेरे अनेकों चाँद हैं रहते,
शिष्य वही हैं आगे बढ़ते, जो अपने गुरु की बात हैं सहते।
6.       Saturn:
नौ गुना हूँ धरती से बड़ा, छल्लों से सजी मेरी काया,
लोग हैं मुझसे झूठे डरते, पड़ ना जाये शनि की छाया।
नौ गुना हूँ धरती से बड़ा, छल्लों से सजी मेरी काया,
लोग हैं मुझसे झूठे डरते, पड़ ना जाये शनि की छाया।
7.       Uranus:
मैं हूँ बस एक बर्फ का गोला, ऐसा मुझको सबने बोला,
पर पास किसी के जाये बिन, किसने है अपना राज़ खोला।
मैं हूँ बस एक बर्फ का गोला, ऐसा मुझको सबने बोला,
पर पास किसी के जाये बिन, किसने है अपना राज़ खोला।
8.       Neptune:
ऐसा है आभामंडल, जो अन्दर से गर्म और है बाहर से ठण्डा,
सबसे दूर, अपने में चूर, बस यही है अपने जीवन का फंडा।
ऐसा है आभामंडल, जो अन्दर से गर्म और है बाहर से ठण्डा,
सबसे दूर, अपने में चूर, बस यही है अपने जीवन का फंडा।
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अजय चहल 'मुसाफ़िर'
चेन्नई, 22.08.2019
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Sr. No. #5
मैं बालक, तू पालक
ज़रा ध्यान लगा के सुनो, हे पालक !!
बड़ी दुविधा में पड़ा, ये बालक।
जब मैं धरा पर आया था,
तूने गीत खुशी का गाया था।
पर अब भूल रहे हो, अपना वादा,
खुद-ख़ुशी की खातिर तूने,
हवा भी कर दी, जहरीली ज्यादा।
नाम विकास का, पर काम विनाश का,
क्या अगला नंबर है, इंसानों का?
जीवों की गिनती तो, कर दी है आधा।
दिल की सुन, जीवन को चुन, मेरे पालक,
बन पालनहार, ना कर संहार, कहता ये बालक !!
ज़रा ध्यान लगा के सुनो, हे पालक !!
बड़ी दुविधा में पड़ा, ये बालक।
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अजय चहल 'मुसाफ़िर'
चेन्नई
![]()  | 
| PC: https://www.momscleanairforce.org/china-california-climate-change | 
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15 तारीख
भगत सिंह, चंद्रशेखर और सुभाष जैसा, खोया था नगीना,
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अजय चहल 'मुसाफ़िर'
15-08-2016
Sr. No. #4
15 तारीख
भारत की जनता ने हक था अपना छीना,
तारीख थी 15 और अगस्त का महीना।
सदियों की गुलामी में, मुश्किल था जीना,
तोड़ी थी जंजीरें, लाखों ने देकर खून-पसीना। 
भगत सिंह, चंद्रशेखर और सुभाष जैसा, खोया था नगीना,
यादों में रखना जरूर, वो 15 तारीख और अगस्त का महीना ।। 
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अजय चहल 'मुसाफ़िर'
15-08-2016
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Sr. No. #3
दीपों वाली दिवाली 
है आई दिवाली, दीपों वाली,
खुशी थी जीत, वो लंका वाली।
सीता जी को किया कैद था,
दस सिर वाले रावण ने,
मार रावण को राम जी लौटे,
तो खुशी जताई, दीपों वाली।
जब इस बार दिवाली मनायेंगे,
इक और बुराई मिटाएँगे।
साँस लें सब साफ़ हवा में,
सो पटाखे नहीं चलाएंगे।
पर मिठाई जरुर खायेंगे,
और दीपों वाली दिवाली मनायेंगे।।
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अजय चहल 'मुसाफ़िर'
(16-10-2014) 
![]()  | 
| Picture credits: Hindi Mitr Mandal, IITM | 
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Sr. No. #2
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Sr. No. #1
बिजली बचाओ 
सूरज जब डूब जाता है,
तब जीवन कौन चलाता है?
मम्मी की मशीन, पापा का मोबाइल,
और मेरा कार्टून भी तो आता है। 
बिजली बनाओ, बिजली बचाओ,
भारत देश को आगे बढाओ ।।
"हर-हर बिजली, घर-घर बिजली"
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अजय चहल 'मुसाफ़िर'
![]()  | |||
| Puducherry Seashore | 
Sr. No. #1
पेड़ लगाओ
सुनो सुनो सब, ध्यान लगा के,
बचा लो धरती, पेड़ लगा के। 
बारिश, भोजन, और छाया,
ख़ूब मिलेंगे, पेड़ लगा के।
बिन पेड़ों के मुझे बताओ,
साँस लोगे, कहाँ पे जा के?
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अजय चहल 'मुसाफ़िर' 
![]()  | 
| Ann Arbor, Michigan (USA) by Dr Ashish Sahani | 



 


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