सोमवार, 29 अगस्त 2016

कश्मीर हमारा है


कश्मीर हमारा है और कश्मीरी भी हमारे हैं;
अमन के दुश्मन उन्हें तुम जानो,
जो बता रहे हमें न्यारे हैं।

भले एक ने पहनी फेरन (कश्मीरी लिबास),
और दूसरा है वर्दी में;
बेटे दोनों भारत माँ को, अपनी जान से भी प्यारे हैं।

हो रहा ये हंगामा क्यों, क्यूँ है तांडव यूँ मच रहा;
कब होगी बंद बोली लगनी, पत्थर लिए इन हाथों की;
उन होनहार और बेकसूर बेटों की,
चिंता में हमवतन सारे हैं।

मत आना बहकावे में, उन घात लगाये गिद्दों की;
मुश्किल की इन घड़ियों में,
कुछ मीठे बोल और नम आँखों के सहारे हैं।

बहुत कोशिश की उस जलजले ने, 
उम्मीदें हमारी डुबाने की;
हाथ बढ़ा हर हिन्दुस्तानी का, 
तो फिर आबाद, डल के किनारे हैं।

मत मानो, इक तरफ़ा है ये रिश्ता, इस सरजमीं से;
उम्मीद है तुमसे हमें जितनी, 
उतने ही हम पर हक तुम्हारे हैं।

उनकी तरह दुश्मनी गर निभाते हम,
तो लाहौर की गलियाँ ना रहती यूँ आबाद;
गिने ना जाते उनसे जख्म, गर हम इरादा करते,
शुक्र करो, कि हम मोहब्बत के मारे हैं।

लो सुन लो आज तुम, 
इस वतनपरस्त ‘मुसाफ़िर’ की जुबां;
कलियों की खूशबू तो है ही,
महकते इस चमन के, सब फूल भी हमारे हैं;
याद रहे,
कश्मीर तो है ही,
LoC के दोनों और के, कश्मीरी भी हमारे हैं।।
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जय हिन्द !! भारत माता की जय !!
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लेखनी: अजय चहल ‘मुसाफ़िर’
29th Aug 2016

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