रविवार, 14 अगस्त 2016

15 तारीख


भारत की जनता ने हक था अपना छीना,
तारीख थी 15 और अगस्त का महीना |
सदियों की गुलामी में, मुश्किल था जीना,
तोड़ी थी जंजीरें, लाखों ने देकर खून-पसीना |
भगत सिंह, चंद्रशेखर और सुभाष जैसा, खोया था नगीना,
यादों में रखना जरूर, वो 15 तारीख और अगस्त का महीना ||

जाना पड़ा था, जब उन्हें छोड़कर,
वो उम्र भर का बैरी दे गये,
दो हिस्सों में हमें तोड़कर |
पर लोहपुरुष ना विचलित हुए,
तन दिया मेरे वतन को,
जाने कितने टुकड़े जोड़कर |
कुछ थे बेचारे, कुछ थे पुचकारे,
कुछ को लाये बांह मरोड़कर |
कुछ का टूटा भ्रम बाद में,
पड़ोसी ने जब डोर-बेल बजाई, छूट गया उनका पसीना,
याद उन्हें आती होगी, वो 15 तारीख और अगस्त का महीना ||

70 साल हैं गुजर गये, जाने वो दिन किधर गये,
आज़ादी का बस ढिंढोरा है, क्यूँ हाथों में आज भी कटोरा है ?
 बच्चा, बुड्ढा, जवान, किसान, हर कोई चिल्लाता है,
भूखा पेट, ऊँचा रेट, बंजर खेत, भूला हमें 'भाग्य-विधाता' है ?
मत लो इम्तिहान हमारा, हमें औकात याद दिलाना आता है,
छोड़े हैं, पर भूले नहीं, हमें हर हथियार चलाना आता है,
तुच्छ ना जानो हमें हुजूर, शहजादों के महल गिराना आता है |
पर उम्मीद जगी है आज उनसे,
लाल किले पर ठोक रहे हैं, जो 56 इंच का सीना,
इरादों में हरदम रहे, वो 15 तारीख और अगस्त का महीना ||

मौका मिला है, सो चूक ना जाना,
कुर्बानी उन वीरों की, सस्ती नहीं गवांना |
लाख हो मुश्किल, पर नहीं असंभव,
गर प्रयास जरा-सा, हर हाथ करेगा,
अपने भारत को विश्व-गुरु बनाना |
सहमे सहमे बहुत जी लिए, अब और सब्र का घूँट नहीं पीना,
तिरंगा फेहराना, जश्न मनाना, पर मत भुलाना,
वो 15 तारीख और अगस्त का महीना ||

जय-हिन्द !!
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं !!

Video link: https://goo.gl/xrTWeO
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लेखनी : अजय चहल 'मुसाफ़िर'
15 अगस्त 2016
चेन्नई, भारत 


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