बुधवार, 8 अक्टूबर 2025

अखबार

अखबार, अखबार, अखबार, मैं हूं ताज़ा अखबार, 
है तुम सबको जिसका इंतजार, मैं वही अखबार।
जब कल हुआ था, उन नेता जी का कुत्ता बीमार, 
तो हाल-चाल जानने पहुंचे, शहर के सारे पत्रकार।
साहब की फैक्ट्री से जहां निकली हैं दो पाइप बाहर,
उसी तालाब के पानी से, रहता है सारा गांव बीमार,
कुछ घंटे पहले, वहां मरी थी नरसी की भैंसें चार।

पर आज के पहले पन्ने पर, दुखी नेता जी छाए हैं,
चमकीले चेहरे, चटपटे चुटकले, हर पन्ने में समाए हैं,
नरसी और गाँव,
आज फिर, इन आठ पन्नों में ना जगह बना पाए हैं।
अखबार, अखबार, अख़बार, मैं हूं ताज़ा अख़बार।

कल सोनू की शादी थी, दुल्हन की उम्र दूल्हे से आधी थी,
बीमार बाप, बिना मां की बेटी का सहारा उसकी दादी थी,
छठी कक्षा में ही वक्त ने कच्चे कंधों पे जिम्मेदारी लादी थी,
जब सोनू की पहली बीवी उसे एक बेटा भी ना दे पाई थी,
तो खाकी वाले चार बेटियों के बाप ने दूसरी शादी रचाई थी।

रोज समाचारों में अत्याचार, चीत्कार, व्याभिचार, अंधकार,
फिर भी अखबार, अखबार, ताज़ा अखबार, पढ़ो सरकार।।
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मुसाफ़िर

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