है तुम सबको जिसका इंतजार, मैं वही अखबार।
जब कल हुआ था, उन नेता जी का कुत्ता बीमार,
तो हाल-चाल जानने पहुंचे, शहर के सारे पत्रकार।
साहब की फैक्ट्री से जहां निकली हैं दो पाइप बाहर,
उसी तालाब के पानी से, रहता है सारा गांव बीमार,
कुछ घंटे पहले, वहां मरी थी नरसी की भैंसें चार।
पर आज के पहले पन्ने पर, दुखी नेता जी छाए हैं,
चमकीले चेहरे, चटपटे चुटकले, हर पन्ने में समाए हैं,
नरसी और गाँव,
आज फिर, इन आठ पन्नों में ना जगह बना पाए हैं।
अखबार, अखबार, ताज़ा अखबार, पढ़ो सरकार।।
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मुसाफ़िर
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