रविवार, 4 मार्च 2018

मेरे जैसा

जब कोई तुझसे पूछे, तेरा हाल कैसा है,
तो कहा कर, वो तो बस, मेरे जैसा है।

रोज तेरा वो, खाने का वक़्त भूल जाना,
सबको सँभाल, ख़ुद को याद न रख पाना,
मेरे ही जैसे, उन नादानियों को दोहराना,
मुझ से ना बोले तो, तेरे मन का मचलाना,
अब से गर कोई पूछे, तेरा मिज़ाज़ कैसा है,
तो बेशक़ कहा कर, कि बस मेरे जैसा है।

उनींदे नैनों का, वो रात रात भर ना सोना,
इक कंधे की तलाश में, अकेले बैठ रोना,
हर पल, बस खुद ही में मदहोश होना,
चेहरे पर छपे हुए, अपने दर्दों को धोना,
हाँ, ये सारा मंज़र, इक नशे के जैसा है,
तभी तो कहता हूँ, तू बस मेरे जैसा है।

प्यार बाँट कर दुनिया भर को,
ख़ुद के लिए बचा, तेरा प्यार नहीं,
अपनों की ठोकरों की चोट से,
किसी भी नज़र पर, तेरा ऐतबार नहीं,
पर मेरे संग, तेरी अखियों का दरिया बहना,
सब बोल कर, सब खोल कर, तेरा चुप रहना,
अक्सर समझ आता नहीं, तेरा ये हिसाब कैसा है,
पर अब, सबको लगता है, तू तो बिलकुल मेरे जैसा है।

जब कोई तुझसे पूछे, तेरा हाल कैसा है,
तो कहा कर, वो तो बस, मेरे जैसा है।।

Audio recording link
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(विषय/ पृष्ठभूमि- साभार:  कपिल कौशिक 'लेखराज')
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लेखनी:
अजय चहल 'मुसाफ़िर'
भारत


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