अर्थ:
पर्व ये प्रकाश का, स्मृति और उल्लास का,
बुराई से उपवास का, अच्छाई के आभास का ।।
मौका:
रिश्तों के मर्म का, हिसाब स्वकर्म का ।
अन्त:
सीता के हरण का, रावण के मरण का ।
(सीता = स्व-अस्मिता)
ध्यान:
प्रभु के चरण का, उनकी दिव्य शरण का ।
उपदेश:
भाई के प्यार का और रक्षण अपनी नार का,
पापियों के उद्धार का, प्रभु की जयकार का ।।
बोलो - श्री रामचन्द्र की - जय !!
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वर्तमान सन्दर्भ में दीपावली:
"प्रकाश-पर्व या प्रदूषण-पर्व"
जब राम जी अयोध्या लौटे, कर रावण संहार,
घर-घर जले घी के दीये, अमावस्य बनी दिवाली त्यौहार ।
शंका उसे पूरी थी, या आस्था की मजबूरी थी,
स्वागत में थी सिर्फ रौशनी, क्या सूचना अधूरी थी ।
"बिना बम-पटाखों के दिवाली, मातम है या त्यौहार है?"
यही परिभाषा उन 'सज्जन' की, हमारी मुश्किलों का सार है ।
सिर्फ शोर और विषैला धुआँ, शायद यही नयी परिभाषा है,
दिनभर की मुस्कान पे भारी, अब धमाकों की निराशा है ।
मना नहीं है खुशी जताना,
पर, 'हे प्रदूषण -प्रेमी', ज़रा इतना बताना,
"क्या बस फटती रौशनी सी है जिन्दगानी ?
क्यों, शाश्वत लौ सा तेरा वज़ूद, बन रहा बस इक फ़साना ।।"
दीपावली मुबारक ! दीपों वाली दिवाली मुबारक !
प्रदूषण-रहित दीपावली मुबारक !!
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Click here for video
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लेखनी:
अजय चहल 'मुसाफ़िर'
भारत
Fact:
Humans can't survive in SOx and NOx.
May common sense prevail !! Jai Shri Ram !!
पर्व ये प्रकाश का, स्मृति और उल्लास का,
बुराई से उपवास का, अच्छाई के आभास का ।।
मौका:
रिश्तों के मर्म का, हिसाब स्वकर्म का ।
अन्त:
सीता के हरण का, रावण के मरण का ।
(सीता = स्व-अस्मिता)
ध्यान:
प्रभु के चरण का, उनकी दिव्य शरण का ।
उपदेश:
भाई के प्यार का और रक्षण अपनी नार का,
पापियों के उद्धार का, प्रभु की जयकार का ।।
बोलो - श्री रामचन्द्र की - जय !!
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वर्तमान सन्दर्भ में दीपावली:
"प्रकाश-पर्व या प्रदूषण-पर्व"
जब राम जी अयोध्या लौटे, कर रावण संहार,
घर-घर जले घी के दीये, अमावस्य बनी दिवाली त्यौहार ।
शंका उसे पूरी थी, या आस्था की मजबूरी थी,
स्वागत में थी सिर्फ रौशनी, क्या सूचना अधूरी थी ।
"बिना बम-पटाखों के दिवाली, मातम है या त्यौहार है?"
यही परिभाषा उन 'सज्जन' की, हमारी मुश्किलों का सार है ।
सिर्फ शोर और विषैला धुआँ, शायद यही नयी परिभाषा है,
दिनभर की मुस्कान पे भारी, अब धमाकों की निराशा है ।
मना नहीं है खुशी जताना,
पर, 'हे प्रदूषण -प्रेमी', ज़रा इतना बताना,
"क्या बस फटती रौशनी सी है जिन्दगानी ?
क्यों, शाश्वत लौ सा तेरा वज़ूद, बन रहा बस इक फ़साना ।।"
दीपावली मुबारक ! दीपों वाली दिवाली मुबारक !
प्रदूषण-रहित दीपावली मुबारक !!
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लेखनी:
अजय चहल 'मुसाफ़िर'
भारत
Pics Source: Internet |
Fact:
Humans can't survive in SOx and NOx.
May common sense prevail !! Jai Shri Ram !!
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