सब गुनाहों को कर माफ़,
आओ लग जाओ गले,
के होली है आज...
चहेरे पे पड़े ये तेवर,नहीं है तेरे जेवर,
तेरी मुश्कान पे कर ले तू नाज,
के होली है आज.....
रंगीन समां है, रंग जमा है,
दे दे अपनी धडकनों का तू साथ,
के होली है आज....
महक बिखरी है हर ओर,कर ले फूलों की बात,
खिलखिला ले तू भी,
के होली है आज....
कल को भूल जा तू, ना कर तू कल की आस,
जी ले इसी पल में ये जीवन,
के होली है आज....
जल रही है होली वहां, ढूंढ ले अपना हमजोली यहाँ,
गर भूल गया खुद को तू, याद रखेगा तुझे ये जहाँ,
मौका है बदल ले अपना लिबास,
के होली है आज....
के होली है आज....
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लेखनी - अजय चहल 'मुसाफ़िर'
लेखनी - अजय चहल 'मुसाफ़िर'
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