शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

अवसर - पुरुष्कार

कहानी कहने की जुगत में,
इक किस्सा हमने भी कहा,

बहुत बड़ा नहीं, बस छोटा ही था ये किस्सा,
पर हर शब्द था, मेरे जीवन का इक हिस्सा,

किसी-किसी को सुनने में बहुत अच्छा लगा,
किसी को खुद ही की बातों का लच्छा लगा,

सच तो ये है, सिर्फ मेरा नहीं,
हर किसी का हर पल, है इक कहानी,
बस उसे हिम्मत करके, है वो सुनानी,
तेरा अनुसन्धान, हरदम रहे तेरी जुबानी,
'अवसर' ने भी तो, यही बात है पहचानी।।
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Refers to awsar-dst.in
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लेखनी:
अजय चहल 'मुसाफ़िर'
चेन्नई, भारत



2 टिप्‍पणियां:

  1. पर हर शब्द था मेरे जीवन का हिस्सा.... Good one!

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  2. आपको 'अवसर' के लिए शुमकामनाएं।
    कहीं लेखक अवसरवादी तो नहीं ?

    अंतिम पंक्ति की

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