कहानी कहने की जुगत में,
इक किस्सा हमने भी कहा,
इक किस्सा हमने भी कहा,
बहुत बड़ा नहीं, बस छोटा ही था ये किस्सा,
पर हर शब्द था, मेरे जीवन का इक हिस्सा,
पर हर शब्द था, मेरे जीवन का इक हिस्सा,
किसी-किसी को सुनने में बहुत अच्छा लगा,
किसी को खुद ही की बातों का लच्छा लगा,
किसी को खुद ही की बातों का लच्छा लगा,
सच तो ये है, सिर्फ मेरा नहीं,
हर किसी का हर पल, है इक कहानी,
बस उसे हिम्मत करके, है वो सुनानी,
तेरा अनुसन्धान, हरदम रहे तेरी जुबानी,
'अवसर' ने भी तो, यही बात है पहचानी।।
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Refers to awsar-dst.in
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लेखनी:
अजय चहल 'मुसाफ़िर'
चेन्नई, भारत
हर किसी का हर पल, है इक कहानी,
बस उसे हिम्मत करके, है वो सुनानी,
तेरा अनुसन्धान, हरदम रहे तेरी जुबानी,
'अवसर' ने भी तो, यही बात है पहचानी।।
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लेखनी:
अजय चहल 'मुसाफ़िर'
चेन्नई, भारत
पर हर शब्द था मेरे जीवन का हिस्सा.... Good one!
जवाब देंहटाएंआपको 'अवसर' के लिए शुमकामनाएं।
जवाब देंहटाएंकहीं लेखक अवसरवादी तो नहीं ?
अंतिम पंक्ति की